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11 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्षा त्यागी

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केस 1 मध्य प्रदेश के भोपाल में एक पांच साल की बच्ची जब घर के बाहर खेल रही थी तो पड़ोसी ने उसे अगवा कर लिया। इसके बाद उसका रेप कर गला घोटकर मार डाला। दो दिन बाद बच्ची की लाश पानी की टंकी में मिली।

केस 2 बिहार के छपरा में प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली एक साढ़े तीन साल की बच्ची से बस कंडक्टर ने रेप किया। स्कूल के टीचर्स ने फोटो दिखाकर दुष्कर्मी की पहचान भी कर ली, लेकिन 10 दिन तक ये बात पेरेंट्स से छिपाए रखी। बच्ची की तबीयत खराब होने पर पेरेंट्स मामला लेकर पुलिस के पास पहुंचे।

केस 3 मध्य प्रदेश के हरदा में 5 साल की मासूम के साथ रेप का मामला सामने आया है। आरोपी युवक पीड़ित बच्ची के गांव मेहमान बनकर आया था। पीड़िता की मां ने बताया कि आरोपी बच्ची को कुरकुरे दिलाने के बहाने लेकर गया था और उसके बाद उसके साथ दुष्कर्म किया। काफी देर तक जब बच्ची नहीं लौटी तो परिजनों ने खोजबीन की।

सेक्स एजुकेशन देश में बेहद जरूरी- SC सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर को चाइल्ट पोर्नोग्राफी पर फैसला सुनाते हुए सेक्स एजुकेशन के बारे में भी बात की। कोर्ट ने कहा, ‘सेक्स एजुकेशन को वेस्टर्न कॉन्सेप्ट मानना गलत है। इससे युवाओं में अनैतिकता नहीं बढ़ती। इसलिए भारत में इसकी शिक्षा बेहद जरूरी है।’ कोर्ट ने कहा कि लोगों का मानना है कि सेक्स एजुकेशन भारतीय मूल्यों के खिलाफ है। इसी वजह से कई राज्यों में यौन शिक्षा को बैन कर दिया गया है। इसी विरोध की वजह से युवाओं को सटीक जानकारी नहीं मिलती। फिर वे इंटरनेट का सहारा लेते हैं, जहां अक्सर भ्रामक जानकारी मिलती है।

कई नेता सेक्स एजुकेशन का विरोध कर चुके हैं सुप्रीम कोर्ट ने ये जरूर कहा है कि भारत में सेक्स एजुकेशन जरूरी है। लेकिन इससे पहले कई नेता इसका विरोध कर चुके हैं। डॉ हर्षवर्धन जो 2014 से 2019 के बीच हेल्थ मिनिस्टर रहे, उन्होंने कहा कि भारत के स्कूलों में सेक्स एजुकेशन की जगह योग कराया जाना चाहिए। उन्होंने सेक्स एजुकेशन को बैन तक करने की मांग की थी।

2007 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये कहते हुए सेक्स एजुकेशन को प्रदेश में बैन कर दिया कि इसका इंस्ट्रक्शन मैन्युअल टीचर्स के लिए अश्लील है। चौहान ने ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट ऑफिसर अर्जुन सिंह को चिट्ठी लिखकर कहा था कि केंद्र सरकार की नेशनल AIDS कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने सेक्स एजुकेशन के लिए जो फ्लिप चार्ट दिए हैं वो बांटे नहीं जाने चाहिए थे। इसके अलावा BJP नेता प्रकाश जावडेकर और मुरली मनोहर जोशी भी सेक्स एजुकेशन का विरोध कर चुके हैं।

सेक्स एजुकेशन के लिए पहले पेरेंट्स की काउंसलिंग जरूरी दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के चेयरमैन हंसराज सुमन ने कहा कि बच्चों को छोटी उम्र से सेक्स एजुकेशन देने से पहले उनके पेरेंट्स की काउंसलिंग होनी चाहिए। हमारे पास कई ऐसे मामले आते हैं कि टीचर्स छोटे बच्चों को सेक्स एजुकेशन के बारे में बता रहे हैं। कई बार जब टीचर्स ने जब छोटे बच्चों को सेक्स एजुकेशन के बारे में बताया तो पेरेंट्स ने नाराज होकर स्कूल में खूब हंगामा किया जो बिल्कुल ठीक नहीं है। इसलिए पेरेंट्स को भी अवेयर करना जरूरी है।

इसके अलावा हंसराज कहते हैं कि सेक्स एजुकेशन को लेकर पहले टीचर्स की ट्रेनिंग जरूरी है। स्कूलों में 9वीं-10वीं में बायोलॉजी की किताबों में रिप्रोडक्शन चैप्टर के जरिए बच्चों को पढ़ाया तो जाता है मगर ये सिर्फ एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाता है। सेक्स एजुकेशन 6वीं क्लास से बच्चों के लिए कंपलसरी होना चाहिए। क्योंकि ये वो उम्र होती है जब बच्चे नासमझ होते हैं लेकिन बड़े भी हो रहे होते हैं। ऐसे में उनके मन में कई तरह के सवाल भी होते हैं। अगर सेक्स को लेकर हम उनके सवालों का जवाब नहीं देंगे तो वो इंटरनेट या दूसरे माध्यमों के जरिए जवाब ढूंढने लगेंगे जो बिल्कुल ठीक नहीं है। बच्चों को अगर कंसेंट, गुड टच- बैड टच के बारे में पता होगा तो वो अपने साथ होने वाली गलत घटनाओं के बारे में जागरूक हो सकेंगे। साथ ही पेरेंट्स को भी इस बारे में बता पाएंगे।

बच्ची के साथ रेप हुआ तो गुड टच- बैड टच पढ़ाना शुरू किया बिहार की टीचर खुशबू आनंद स्कूल के बच्चों को गुड टच-बैड टच के बारे में बताती हैं। उन्होंने बताया कि साल 2023 में गांव की तीसरी क्लास की बच्ची की रेप करके हत्या कर दी गई। उससे खुशबू टूट गई और उसी दिन ठान लिया कि बच्चों को गुड टच बैड टच के बारे में बताएगी। वो कहती हैं कि बच्चों को छोटी-छोटी कहानियों के जरिए सेक्स एजुकेशन के बारे में बताना चाहिए।

गुड टच और बैड टच के बारे में बताया जाना भी एक तरह का सेक्स एजुकेशन ही है, जिसकी शुरुआत बचपन में ही सहजता के साथ अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चों, किशोरों और नौजवानों के लिए सेक्स एजुकेशन की प्रक्रिया अलग-अलग होनी चाहिए। इसके कई लाभ उभर कर सामने आ सकते है जैसे कि छोटे बच्चों के साथ कोई यौन शोषण करने का प्रयास करेगा तो बच्चे बिना घबराएं इस संदर्भ में अपने अभिभावक, शिक्षक या अन्य को जानकारी देने में सक्षम हो जाएंगे।

एक फायदा यह भी हो सकता है कि बच्चों का गलत दिशा में भटकाव पर अंकुश लगेगा। कई रिपोर्ट्स में यह बात सामने आ रही है कि बच्चे मोबाइल और इंटरनेट का गलत इस्तेमाल कर पोर्न वीडियो देखते है। बच्चों के लिए सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी है, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है कि हमारे देश की एक बड़ी आबादी गांव में बस्ती है। साथ ही देश की एक बड़ी आबादी अभी भी अशिक्षित है इसलिए सेक्स एजुकेशन से संबंधित जो भी सिलेबस तैयार किया जाए उसे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और अशिक्षित लोगों को भी ध्यान में रख कर किया जाए।

मामा-चाचा बैड टच करें तो क्या करें दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अपराजिता गौतम कहती हैं कि, असॉल्ट के केसों में ज्यादातर देखा जाता है कि बच्चे का कोई करीबी ही उसके साथ ऐसा करता है। बड़ा भाई, मामा, चाचा इस तरह के लोग इसमें शामिल होते हैं। ऐसे में बच्चों को यही नहीं पता होता कि किससे जाकर बताएं कि उनके साथ क्या हुआ है। कई बार स्कूल में जब मेल टीचर्स भी बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं तो बच्चों को पता ही नहीं होता कि शिकायत कहां करें। इसलिए बच्चों से इस बारे में बात करके उन्हें बताना चाहिए कि वो पेरेंट्स पर भरोसा कर सकते हैं।

बच्चों को स्कूल में सेक्स एजुकेशन बिल्कुल देनी चाहिए। साथ ही उन्हें ये भी बताना चाहिए कि गलत होने पर वो कहां जा सकते हैं। अपराजिता कहती हैं कि पहले सेक्स एजुकेशन नहीं दिया जाता था। इसलिए आज जो पेरेंट्स हैं उन्हें पता ही है कि अपने बच्चों को सेक्स एजुकेशन कैसे दें। पेरेंट्स अवेयर हैं और चाहते हैं कि बच्चों को भी अवेयर करें लेकिन वो इसका तरीका नहीं जानते। इसलिए ये जिम्मेदारी स्कूल पर ज्यादा आ जाती है।

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