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-रेल दुर्घटना की रोकथाम में अत्याधुनिक तकनीक आएगी काम
-रेल मंत्री ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी मुलाकात की

नई दिल्ली। सुविधाजनक सफर और यात्री सुविधाओं में वृद्धि के लिए रेलवे निरंतर प्रयासरत है। इसी क्रम में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कवच 4.0 का निरीक्षण किया। रेल मंत्री वैष्णव जयपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि रेलवे की सुरक्षा के लिए कवच बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि 16 जुलाई को आरडीएसओ द्वारा कवच 4.0 संस्करण को अंतिम रूप दिया गया था। इसकी पहली स्थापना सवाई माधोपुर से पूरी हो चुकी है। कोटा और नागदा में, जयपुर-गांधीनगर स्टेशन पर पहला रूफ प्लाजा है। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी मुलाकात की। कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा प्रणाली के तहत सवाई माधोपुर से कोटा के बीच रेलवे ट्रैक को कवच लैस किया गया है। रेल मंत्री ने कवच 4.0 सुरक्षा प्रणाली का रेलवे अधिकारियों के साथ सवाई माधोपुर से सुमेरगंज मंडी तक रन कर ट्रायल लिया। कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा प्रणाली एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है।

यह सुरक्षा प्रणाली पूरी तरह से अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणाली है, जो रेल दुर्घटना की रोकथाम में महत्वपूर्ण साबित होगी। यह रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों का सुरक्षित तरीके से संचालन करेगा। यह प्रणाली देश में पहली बार सवाई माधोपुर से कोटा के बीच 108 किलोमीटर की दूरी में स्थापित की गई है। इसका काम दो माह में पूरा कर लिया गया है। यह देश का पहला रेलवे ट्रैक है, जहां इसे लागू किया गया है। कवच 4.0 के तहत रेलवे ने सवाई माधोपुर और कोटा के बीच 130 टावर स्थापित किए हैं। इसके लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई हैं। इस ट्रैक पर 78 कवच भवन का निर्माण किया गया है। साथ ही 178 सिग्नलिंग इंटरफेस और एक एसपीएलएस नेटवर्क का निर्माण किया गया है। रेलवे ने कवच 4.0 के तहत एक ऐसा स्वचालित सिस्टम तैयार किया है, जिसमें ट्रेन की निर्धारित स्पीड से 2 किमी प्रति घंटा से अधिक की स्पीड होने पर कवच ओवर स्पीड अलार्म बजाएगा।

ट्रेन की निर्धारित स्पीड से 5 किमी प्रति घंटा से ज्यादा होने पर ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे। वहीं, ट्रेन की निर्धारित स्पीड से 9 किमी प्रति घंटा से ज्यादा होने पर इमरजेंसी ब्रेक लग जाएंगे। कवच सिस्टम पर इंटरलॉकिंग लगाई गई है, जिससे अगले सिग्नल को पढ़कर उसके आस्पेक्ट को रेडियो तरंगों के माध्यम से सीधे इंजन में प्रदर्शित कर देगा, जिससे 160 किमी की रफ्तार में पायलट को सिग्नल पढ़ने में सुविधा होगी। उसे लाइन पर लगे सिग्नल पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। यदि लोको पायलट ट्रेन संचालन में कोई गलती करता है या भूल होती है तो सिस्टम तुरंत अलर्ट करेगा और आपात स्थिति में ब्रेक लगा देगा।




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