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IPS Story: यह एक ऐसे अफसर की कहानी है जिसका खून अपराधियों को देखते ही खौलने लगता था. एक से बढ़कर एक अपराधियों को सबक सिखाया और कई को ठिकाने लगाया. यूपी में तो एनकाउंटर की शुरुआत भी उसी अधिकारी ने की. आज यूपी में जिस स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को लेकर बवाल मचा है, उसकी नींव का पहला पत्थर भी वही अधिकारी रहा. बाद के दिनों में वह यूपी पुलिस के अलावा दिल्ली पुलिस और बीएसएफ में भी डीजी रैंक पर रहे और रिटायर हो गए.

यह कहानी किसी और की नहीं, बल्कि एनकाउंटर स्‍पेशलिस्‍ट और दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त रहे अजय राज शर्मा की है. अजय राज शर्मा 1966 बैच के आईपीएस अधिकारी थे. जमींदार परिवार में जन्मे अजय राज शर्मा को बचपन से ही पुलिस विभाग में जाने का शौक था. जब आईपीएस बनकर पुलिस विभाग में पहुंचे, तो कई नए कीर्तिमान रच डाले. जब यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह को मारने की सुपारी मिली, तो एसटीएफ बनाई गई, जिसकी कमान तत्कालीन डीजी रैंक के अधिकारी अजय राज शर्मा को सौंपी गई. उनकी अगुवाई में एसटीएफ ने श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे अपराधी को भी ठिकाने लगा दिया. एक बार उन्‍होंने मैच फिक्सिंग को लेकर भी खुलासा किया.

कैसे पुलिस अधिकारी बन गए शर्मा
मूल रूप से पूर्वांचल के मिर्जापुर के रहने वाले अजय राज शर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका जन्म एक जमींदार परिवार में हुआ था, जिसकी वजह से उनके घर पर पुलिस और अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता था. इसी वजह से उन्हें भी बचपन से पुलिस अधिकारी बनने का शौक था. उनकी शुरुआती पढ़ाई देहरादून के सेंट जोसेफ एकेडमी में हुई. इसके बाद वर्ष 1956 में वह इलाहाबाद आ गए, जहां के क्रिश्चियन पब्लिक स्कूल में बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद 1965 में उन्होंने एमए किया.

पहली बार में बने आईपीएस
अजय राज शर्मा ने पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी थी. लिहाजा, यूपीएससी परीक्षा में पहली ही बार में उनका चयन हो गया और उन्हें आईपीएस के रूप में चुन लिया गया. वर्ष 1966 में वह यूपी कैडर के आईपीएस बन गए और यहां से पुलिस विभाग में उनकी एंट्री हो गई.

पहली पोस्टिंग में पहुंच गए चंबल 
1970 के दशक में चंबल के इलाके में डाकुओं का बड़ा आतंक रहता था. अजय राज शर्मा की पहली पोस्टिंग चंबल में ही थी. यहां पर एक महिला डाकू गुल्लो ने सब इंस्पेक्टर महाबीर सिंह की हत्या कर दी. इसी हत्याकांड ने अजय राज शर्मा को झकझोर कर रख दिया. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि इस घटना के बाद ही उनका अपराधियों के प्रति नजरिया बदल गया. उन्होंने महाबीर सिंह की हत्या का बदला लेने की ठानी, लेकिन उनका तबादला हो गया. चार साल बाद, जल्द ही उन्हें चंबल की घाटियों को डाकुओं से साफ करने का जिम्मा सौंपा गया. उन्हें पुलिस और अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए. अजय राज शर्मा की अगुवाई में जल्द ही दिन के उजाले में पुलिस ने दो बड़े डाकुओं- लज्जाराम पंडित और कुंवरजी गडरिया को ढेर कर दिया. बताया जाता है कि 22 घंटे की लंबी और कठिन मुठभेड़ के बाद 13 गैंग सदस्यों को मार गिराया गया. उन्होंने राजस्थान में घुसकर इस गैंग का सफाया किया. उत्तर प्रदेश का यह पहला ऐसा मामला था जब इतने बड़े पैमाने पर एनकाउंटर किए गए.

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तब अजय राज शर्मा को सौंपी जिम्मेदारी
जब उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला ने तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह की सुपारी ली, तब प्रदेश में पुलिस की एक स्पेशल टास्क फोर्स (STF) बनाई गई. अजय राज शर्मा के ऑपरेशन चंबल की सफलता को देखते हुए उन्हें इसका चीफ बनाया गया, जिसके बाद उन्होंने टीम बनाकर श्रीप्रकाश शुक्ला का खातमा कर दिया. इस तरह देखा जाए तो अजय राज शर्मा ही पहले पुलिस अफसर हैं, जिन्होंने यूपी के एसटीएफ की नींव रखी थी.

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